विश्व कैन्‍सर दिवस

 विश्व कैन्‍सर दिवस

जिन्‍दगी के हर पन्ने पर एक नया पढ़ाव आता हैं। चाहे वो बचपनस्कूल के दिनकॉलेज की मस्तीयाँ या फिर करियर को लेकर प्रेशर हो। इन सभी बाँतों मे हम कही ना कही शारीरिक रूप से या मानसिक रूप से अपने आप को संभालने में आलस करते हैं। नतीजाबिमारियाँ!

आज उन्हीं बिमारियों मे से एक की बात करते हैं। कैन्‍सर! कही प्रकार के कैन्‍सर होते हैं। जैसे की लन्ग कैन्‍सरब्रेस्ट कैन्‍सरब्ल्ड कैन्‍सरऔर ऐसे बहुत सारे। कहा जाता हैं की करिबन १०० अलग – अलग प्रकार के कैन्‍सर हैंजिनमें से हम कुछी के बारे में जानते हैं। आज के इस युग में कैन्‍सर भी लोगों के अंदर बहुत तेजी से फैल रहा हैं। और इसके इलाज में भी काफी खर्च लगता हैं।

आज के युवानों का एक नया सा ट्रेन्‍ड शुरू हुआ हैं। सिगरेटगुटखातम्‍बाकूशराब पीना मानो शोख सा हो गया हैं। अगर दोस्त ने शुरू किया तो क्यूँ ना मैं भी ट्राय करु! और फिर इसी तरह सिलसिला चलता ही जाता हैं। और लत में बदल जाता हैं। इन सबका सेवन जब अधीक मात्रा में होने लगता हैं तो वो कैन्‍सर जैसी बड़ी बिमारी का कारण बन सकता हैं। और छोटी सी उम्र में न जाने कितने लोग इसका शिकार बन जाते हैं। शोख – शोख में तो अच्छा लगता हैं पर जब उसका रोद्र स्वरूप धारण होता हैं तो उस मरीज के साथ – साथ पूरा परिवार उस दर्द से गुजरता हैं।

ब्रेस्ट कैन्‍सर जैसी बिमारी स्त्रीयों में सबसे ज्यादा देखने को मिलती हैं। जरूरी हैं की महिलाएँ अपने घरबच्चोंपतिपरिवार का ध्यान रखते हुए अपने शरीर का भी ध्यान रखे। और परिवार भी उसका उतना ही ध्यान रखे, आखिर वो भी एक इन्‍सान ही हैं। कुछ स्टेजेज़ तक कैन्‍सर का इलाज हो सकता हैं। कही परिवारों में इसका इलाज इस कारणवर्ष रूक जाता हैं की पैसे नहीं हैं। और कही पर पैसे होने के बावजूद हम उस इन्‍सान को बचा नहि पाते।

जिन्‍दगी में हमारा आना और जाना हमारे हाथ में नहीं हैं। लेकिन जि‍न्‍दगी को कैसे जिना हमारे हाथ में हैं। कैन्‍सर जैसी बिमारी में सिर्फ़ मरिज़ ही नहीं उसका पूरा परिवार लड़ रहा होता हैं। अगर कैन्सर हुआ है और डॉक्टर कह रहे हैं की अब आगे इसका कोई इलाज नहीं हो पाएगा तो निराश और मायूस होना जायज़ हैं। ऐसे वक्त में आपका परिवारआपके दोस्त ही साथ होते हैं। मौत का डर सबको होता हैं। पता हैंमौत कभी ना कभी आनेवाली ही हैं। बेहतर हैं उस कल को सोचकर अपना आज ना बिगाड़े‌। जिन्‍दगी के जितने दिन बचे हैं उसे दिल खोलकर जी ले ताकि जब मौत दरवाजे पर दस्तक देआपको देखेतो कहे की, “क्या जिन्‍दगी जी हैं यार तुमनेमान गए!”

अपनो को खोने का दर्द तो कम नहीं हो सकता लेकिन उनकी अच्छी यादों को समेटकर जिया जा सकता हैं। कैन्‍सर और ना जाने ऐसी कितनी बिमारियाँ हैं जो हमें शारीरिक और मानसिक रूप से खोखला कर देती हैं। अब जरूरी हैं की खुद का ध्यान रखे। मोज – शोख एक तरफ हैं। लेकिन इसकी वजह से अगर जिन्‍दगी ही ना रही तो क्या फायदा। बेहतर हैं अपना ख्याल रखे। तन और मन दोनों से। अच्छा भोजन खाए, कसरत करे, ध्यान और योग करे, हो सके तो ज्यादा से ज्यादा पोष्टिक आहार लिजिए। तन और मन दोनों से।

क्योंकि जिन्‍दगी आपकी हैंजिना आपको हैंपर शायद आपके होने और ना होने से काफी लोगो को फरक पड‌ता हैं। सोचयेगा जरूर। अपना खयाल रखियेगा – अपने लिए ना सहीअपनो के लिए!

“अपने आपको स्वस्थ और सुरक्षित रखिए

क्योंकि फर्क पड़ता हैं।“

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